बुधवार, 14 जून 2017

आप जानते है भगवान् विष्णु का इक्कसवाँ अवतार : राम अवतार

ॐ गं गणपतये नमः 


जय श्रीकृष्ण मित्रों ! आपने अब तक भगवान विष्णु के २४ अवतारों में २० अवतारों का वर्णन विस्तार से  पढ़ा। आज  आप को ऐसे अवतार के विषय में बताऊगा : जो कलयुग में इष्ट देव है हम सब के, जिन के नाम से पत्थर  भी  पानी में तैर गए। 


1- श्री सनकादि मुनि,  2- वराह अवतार,  3- नारद अवतार,  4- नर-नारायण,  5- कपिल मुनि, 6- दत्तात्रेय अवतार, 7-  यज्ञ, 8- भगवान ऋषभदेव,  9- आदिराज पृथु, 10- मत्स्य अवतार,   11- कूर्म अवतार 12- भगवान धन्वन्तरि 13- मोहिनी अवतार  14- नरसिंह अवतार   15- वामन अवतार   16 - हयग्रीव अवतार 17- श्रीहरि अवतार 18 - परशुराम अवतार 19 -  महर्षि वेदव्यास  20 - हंस अवतार 


त्रेतायुग में राक्षसराज रावण का बहुत आतंक था। उससे देवता भी डरते थे। उसके वध के लिए भगवान विष्णु ने राजा दशरथ के यहां माता कौशल्या के गर्भ से पुत्र रूप में जन्म लिया। इस अवतार में भगवान विष्णु ने अनेक राक्षसों का वध किया और मर्यादा का पालन करते हुए अपना जीवन यापन किया।  पिता के कहने पर वनवास गए। वनवास भोगते समय राक्षसराज रावण उनकी पत्नी सीता का हरण कर ले गया। सीता की खोज में भगवान लंका पहुंचे, वहां भगवान श्रीराम और रावण का घोर युद्ध जिसमें रावण मारा गया। इस प्रकार भगवान विष्णु ने राम अवतार लेकर देवताओं को भय मुक्त किया।







राम ने 14 वर्ष वन में रहकर भारतभर में भ्रमण कर भारतीय आदिवासी, जनजाति, पहाड़ी और समुद्री लोगों के बीच सत्य, प्रेम, मर्यादा और सेवा का संदेश फैलाया। यही कारण रहा की राम का जब रावण से युद्ध हुआ तो सभी तरह की अनार्य जातियों ने राम का साथ दिया। यह वह काल था जबकि लोगों में किसी भी प्रकार की जातिवादी सोच नहीं थी। लोग सिर्फ दो तरह की सोच में ही बंटे थे- सुर और असुर जिन्हें देव और दैत्य कहा जाता था। सुर के सहयोगी यक्ष, गंधर्व, वानर आदि थे तो असुरों के सहयोगी राक्षस, दानव, पिशाच आदि थे।

  वनवास के दौरान लक्ष्मण ने रावण की बहिन सूर्पणखा की नाक काट दी थी। सीता स्वयंवर में अपनी हार और सूरपर्णखा की नाक काटने का बदला लेने के लिए रावण ने सीता का हरण कर लिया। वनवास के दौरान ही राम को सीता से दो पुत्र प्राप्त हुए- लव और कुश। एक शोधानुसार लव और कुश की 50वीं पीढ़ी में शल्य हुए ‍जो महाभारत युद्ध में कोरवों की ओर से लड़े थे।  

राम ने सीता को रावण के चंगुल से छुड़ाने के लिए संपाति, हनुमान, सुग्रीव, विभिषण, मैन्द, द्विविद, जाम्बवंत, नल, नील, तार, अंगद, धूम्र, सुषेण, केसरी, गज, पनस, विनत, रम्भ, शरभ, महाबली कम्पन (गवाक्ष),दधिमुख, गवय और गन्धमादन आदि की सहायता से सेतु बनाया और लंका पर चढ़ाई कर दी। लंका में घोर युद्ध हुआ और पराक्रमी रावण का वध हो गया। तब पुष्पक विमान द्वारा रावण सीता सहित पुन: अयोध्या आ गए।



महत्वपूर्ण घटनाक्रम: गुरु वशिष्ठ से शिक्षा-दिक्षा लेना, विश्वामित्र के साथ वन में ऋषियों के यज्ञ की रक्षा करना और राक्षसों का वध, राम स्वयंवर, शिव का धनुष तोड़ना, वनवास, केवट से मिलन, लक्ष्मण द्वारा सूर्पणखा (वज्रमणि) की नाक काटना, खर और दूषण का वध, लक्ष्मण द्वारा लक्ष्मण रेखा खींचना, स्वर्ण हिरण-मारीच का वध, सीता हरण, जटायु से मिलन।  
कबन्ध का वध, शबरी से मिलन, हनुमानजी से मिलन, सुग्रीव से मिलन, दुन्दुभि और बाली का वध, संपाति द्वारा सीता का पता बताना, अशोक वाटिका में हनुमान द्वारा सीता को राम की अंगुठी देना, हनुमान द्वारा लंका दहन, सेतु का निर्माण, लंका में रावण से युद्ध, लक्ष्मण का मुर्छित होना, हनुमान द्वारा संजीवनी लाना और रावण का वध, पुष्पक विमान से अयोध्या आगमन।  

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