ॐ गं गणपतये नमः
जय श्रीकृष्ण मित्रों ! आपने अब तक भगवान विष्णु के २४ अवतारों में २० अवतारों का वर्णन विस्तार से पढ़ा। आज आप को ऐसे अवतार के विषय में बताऊगा : जो कलयुग में इष्ट देव है हम सब के, जिन के नाम से पत्थर भी पानी में तैर गए।
1- श्री सनकादि मुनि, 2- वराह अवतार, 3- नारद अवतार, 4- नर-नारायण, 5- कपिल मुनि, 6- दत्तात्रेय अवतार, 7- यज्ञ, 8- भगवान ऋषभदेव, 9- आदिराज पृथु, 10- मत्स्य अवतार, 11- कूर्म अवतार 12- भगवान धन्वन्तरि 13- मोहिनी अवतार 14- नरसिंह अवतार 15- वामन अवतार 16 - हयग्रीव अवतार 17- श्रीहरि अवतार 18 - परशुराम अवतार 19 - महर्षि वेदव्यास 20 - हंस अवतार
राम ने 14 वर्ष वन में रहकर भारतभर में भ्रमण कर भारतीय आदिवासी, जनजाति, पहाड़ी और समुद्री लोगों के बीच सत्य, प्रेम, मर्यादा और सेवा का संदेश फैलाया। यही कारण रहा की राम का जब रावण से युद्ध हुआ तो सभी तरह की अनार्य जातियों ने राम का साथ दिया। यह वह काल था जबकि लोगों में किसी भी प्रकार की जातिवादी सोच नहीं थी। लोग सिर्फ दो तरह की सोच में ही बंटे थे- सुर और असुर जिन्हें देव और दैत्य कहा जाता था। सुर के सहयोगी यक्ष, गंधर्व, वानर आदि थे तो असुरों के सहयोगी राक्षस, दानव, पिशाच आदि थे।
वनवास के दौरान लक्ष्मण ने रावण की बहिन सूर्पणखा की नाक काट दी थी। सीता स्वयंवर में अपनी हार और सूरपर्णखा की नाक काटने का बदला लेने के लिए रावण ने सीता का हरण कर लिया। वनवास के दौरान ही राम को सीता से दो पुत्र प्राप्त हुए- लव और कुश। एक शोधानुसार लव और कुश की 50वीं पीढ़ी में शल्य हुए जो महाभारत युद्ध में कोरवों की ओर से लड़े थे।
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