गुरुवार, 15 जून 2017

आप जानते है भगवान् विष्णु का बाईसवाँ अवतार : भगवान श्रीकृष्ण अवतार

ॐ गं गणपतये नमः 


जय श्रीकृष्ण मित्रों ! आपने अब तक भगवान विष्णु के २४ अवतारों में २१ अवतारों का वर्णन विस्तार से  पढ़ा। आज  आप को ऐसे अवतार के विषय में बताऊगा : जो कलयुग में इष्ट देव है हम सब के, भगवान श्री कृष्ण के बारे में जितना भी जानिए आपको कम ही लगेगा। हिंदू देवी-देवताओं में श्री कृष्ण का दर्जा सबसे अलग है। हिंदू धर्म में अगर भगवान के किसी अवतार के बारे में सबसे ज्यादा चर्चा हुई है तो वो कृष्ण ही हैं।


1- श्री सनकादि मुनि,  2- वराह अवतार,  3- नारद अवतार,  4- नर-नारायण,  5- कपिल मुनि, 6- दत्तात्रेय अवतार, 7-  यज्ञ, 8- भगवान ऋषभदेव,  9- आदिराज पृथु, 10- मत्स्य अवतार,   11- कूर्म अवतार 12- भगवान धन्वन्तरि 13- मोहिनी अवतार  14- नरसिंह अवतार   15- वामन अवतार   16 - हयग्रीव अवतार 17- श्रीहरि अवतार 18 - परशुराम अवतार 19 -  महर्षि वेदव्यास  20 - हंस अवतार  21.  श्रीराम अवतार 


22- श्रीकृष्ण अवतार  :

द्वापरयुग में भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण अवतार लेकर अधर्मियों का नाश किया।   भगवान श्रीकृष्ण का जन्म कारागार में हुआ था। इनके पिता का नाम वसुदेव और माता का नाम देवकी था। भगवान श्रीकृष्ण ने इस अवतार में अनेक चमत्कार किए और दुष्टों का सर्वनाश किया।  

कंस का वध भी भगवान श्रीकृष्ण ने ही किया। महाभारत के युद्ध में अर्जुन के सारथि बने और दुनिया को गीता का ज्ञान दिया। धर्मराज युधिष्ठिर को राजा बना कर धर्म की स्थापना की। भगवान विष्णु का ये अवतार सभी अवतारों में सबसे श्रेष्ठ माना जाता है


भगवान श्री कृष्ण के बारे में जितना भी जानिए आपको कम ही लगेगा। हिंदू देवी-देवताओं में श्री कृष्ण का दर्जा सबसे अलग। हिंदू धर्म में अगर भगवान के किसी अवतार के बारे में सबसे ज्यादा चर्चा हुई है तो वो कृष्ण ही हैं।
श्री कृष्ण जी के बारे में आपको को क्या कह सकता हूँ , पर कुछ तो बताना चाहूँगा। 

 श्री कृष्ण का जन्म रोहिण नक्षत्र में हुआ था। वो देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान थे। श्री कृष्ण के जन्म से पहले छह भाइयों को कंश ने मार दिया था। कंस देवकी का भाई था और अपनी बहन से बहुत प्यार करता था। देवकी और वासुदेव की शादी के बाद आकाशवाणी हुई कि कंस की मौत देवकी के आठवें पुत्र के हाथों होगी। इसके बाद कंस ने देवकी और वासुदेव को कारागार में डाल दिया और एक-एक करके उनके सात बच्चों को मार दिया। कृष्ण के जन्म के बाद वासुदेव उन्हें गोकुल में यशोदा और नंद बाबा के घर छोड़ आए थे। कृष्ण को जन्म भले ही देवकी ने दिया हो लेकिन उनका पालन-पोषण यशोदा ने किया था।

  श्री कृष्ण के गुरु संदीपनि थे, कृष्ण ने अपने गुरु को ऐसी दक्षिणा दी थी जो शायद ही किसी गुरु को मिली हो। श्रीकृष्ण ने संदीपनि को उनका मरा हुआ बेटा गुरु दक्षिणा के रूप में वापस जिंदा कर लौटा दिया था।

  बहुत कम लोग ये जानते हैं कि श्री कृष्ण ने देवकी के छह मरे हुए बच्चों को भी वापस बुलाया था। श्री कृष्ण ने देवकी-वासुदेव की मुलाकात उनके छह मृत बच्चों से करवाई थी। यह छह बच्चे हिरणकश्यप के पोते थे और एक शाप में जी रहे थे।

  गोकुल के गोप प्राचीन-रीति के मुताबिक वर्षा काल बीतने और शरद के आगमन के अवसर पर इन्द्र देवता की पूजा किया करते थे। इनका विश्वास था कि इन्द्र की कृपा के कारण बारिश होती है, जिसके परिणामस्वरूप पानी पड़ता है। कृष्ण और बलराम ने इन्द्र की पूजा का विरोध किया और गोवर्धन की पूजा का अवलोकन किया। इस प्रकार एक ओर कृष्ण ने इन्द्र के काल्पनिक महत्त्व को बढ़ाने का काम किया, दूसरी ओर बलदेव ने हल लेकर खेती में वृद्धि के साधनों को खोज निकाला। पुराणों में कथा है कि इस पर इंद्र नाराज हो गए और उसने इतनी अत्यधिक बारिश की कि हाहाकार मच गया। लेकिन कृष्ण ने बुद्धि-कौशल के गिरि द्वारा गोप-गोपिकाओं, गौओं आदि की रक्षा की। इस प्रकार इन्द्र-पूजा के स्थान पर अब गोवर्धन पूजा की स्थापना की गई।

  द्रौपदी चीरहरण के समय उनकी साड़ी श्रीकृष्ण ने बढ़ा दी थी यह सबको पता है लेकिन इसके पीछे की पूरी कहानी बहुत कम लोग जानते हैं। जब श्री कृष्ण ने शिशुपाल का वध अपने सुदर्शन चक्र से किया था तब उनकी उंगली थोड़ी सी कट गई थी। उस समय द्रौपदी ने अपनी साड़ी के पल्ला फाड़कर श्री कृष्ण की उंगली पर बांध दिया था। तब श्री कृष्ण ने उनसे कहा था कि द्रौपदी मैं तुम्हारे एक-एक सूत का कर्ज उतारूंगा।

  श्री कृष्ण की 16,108 पत्नियां थी। जिनमें से आठ उनकी रानियां थी। आठ रानियों से श्री कृष्ण के 80 बच्चे थे। श्री कृष्ण की पत्नी रुकमणी को लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। सभी आठ रानियों के 10-10 पुत्र थे।

  श्री कृष्ण और बलराम की बहन सुभद्रा थी। सुभद्रा वासुदेव और रोहिणी की बेटी थीं। बलराम उनकी शादी दुर्योधन से कराना चाहते थे जबकि रोहिणी और बाकी लोग ऐसा नहीं चाहते थे। इस स्थिति से बचने के लिए श्री कृष्ण ने अर्जुन को सुभद्रा का अपहरण करने की सलाह दी। इतना ही नहीं श्री कृष्ण ने सुभद्रा से कहा कि वो रथ की कमान संभालेगी जिससे यह अपहरण ना लगे।

  श्री कृष्ण के साथ भले ही राधा का नाम हमेशा से जुड़ा सुनाई दिया हो लेकिन क्या आप जानते हैं कि किसी भी धर्मग्रंथ में राधा का जिक्र तक नहीं है। महाभारत या श्रीमद भगवत गीता दोनों में से किसी भी धर्मग्रंथ में उनका नाम नहीं लिया गया है। जयदेव ने पहली बार राधा का जिक्र किया था और उसके बाद से श्री कृष्ण के साथ राधा का नाम जुड़ा हुआ है।

  एकलव्य जिसने द्रोणाचार्य को अपना अंगूठा गुरु दक्षिणा में काटकर दे दिया था। उसका संबंध भी श्री कृष्ण से था। एकलव्य श्री कृष्ण का चचेरा भाई था। एकलव्य वासुदेव के भाई का बेटा था। एकलव्य जंगल में खो गया था और वो हिरण्यधनु को मिल गया था। रुकमणी के स्वयंवर के समय अपने पिता को बचाते हुए एकलव्य की मृत्यु हुई थी। एकलव्य की मृत्यु कृष्ण के हाथों ही हुई थी।

   क्या आप जानते हैं अर्जुन अकेला ऐसा इंसान नहीं था जिसने श्री कृष्ण के मुंह से सबसे पहले बार गीता का सार सुना था। अर्जुन के साथ हनुमान जी और संजय ने भी गीता का सार सुना था। जब कृष्ण अर्जुन को गीता का उपदेश सुना रहे थे उस समय हनुमान जी रथ के ध्वज में मौजूद थे और संजय अपनी दिव्य दृष्टि से गीता का सार सुन रहे थे।


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