गुरुवार, 25 मई 2017

आप जानते है भगवान विष्णु का चौथा अवतार कौन से थे क्या नाम था उनका ? : नर-नारायण

ॐ गं गणपतये नमः 

भगवान विष्णु का चौथा अवतार :  नर-नारायण 

जय श्रीकृष्ण मित्रों ! आपने अब तक भगवान विष्णु के २४ अवतारों में १० अवतारों का वर्णन पढ़ा।
1- श्री सनकादि मुनि, 2- वराह अवतार, 3- नारद अवतार, 4- नर-नारायण, 5- कपिल मुनि, 6- दत्तात्रेय अवतार, 7-  यज्ञ, 8- भगवान ऋषभदेव, 9- आदिराज पृथु, 10- मत्स्य अवतार 

 पिछले ब्लॉग में आप ने श्री सनकादि मुनि, वराह और नारद अवतार के विषय में पढ़ा।  अब आगे 

४. नर-नारायण अवतार : सृष्टि के आरंभ में भगवान विष्णु ने धर्म की स्थापना के लिए दो रूपों में अवतार लिया। इस अवतार में वे अपने मस्तक पर जटा धारण किए हुए थे। उनके हाथों में हंस, चरणों में चक्र एवं वक्ष:स्थल में श्रीवत्स के चरण थे। उनका संपूर्ण वेष तपस्वियों के समान था। धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु ने नर-नारायण के रूप में यह अवतार लिया था। श्रीमद्धभागवत अनुसार : 

तुर्ये धर्मकलासर्गे नरनारायणावृषी भूत्वात्मोपशमोपेतमकरोद्दुश्चरं तपः ।।८।।

धर्मपत्नी मूर्ति से उन्होंने नर - नारायण के रूप में चौथा अवतार ग्रहण किया इस अवतार में उन्होंने ऋषि बन कर मन और इन्द्रियों का सर्वथा संयम करके बड़ी कठिन तपस्या की नर नारायण नाम के दो ऋषियों के रूप में भगवान् नारायण ने चौथा अवतार लिया। नर नारायण के रूप में भगवान् ने बद्रीनाथ नाम के स्थान पर बहुत कठिन तपस्या की। वे धर्म और मूर्ति के पुत्र थे, इनका अवतार संसार के कल्याण और दुष्टों के विनाश के लिए हुआ था। उन्होंने सहस्रकवच, नाम के राक्षस का संहार भी किया। श्रीमद्भागवत पुराण में इनसे उर्वशी के जन्म की कथा दी है -जब नर और नारायण तपस्या कर रहे थे तो उनकी तपस्या से डर कर इंद्र ने कामदेव, उसके साथी वसंत और अप्सराओं को उनकी तपस्या तोड़ने के लिए भेजा। नारायण ने अपनी जंघा पर एक फूल रखा जिससे उर्वशी जैसी सुन्दर अप्सरा प्रकट हुयी, उर्वशी इंद्र की भेजी सब अप्सराओं से अधिक सुन्दर थी, उसे भी उन्होंने उनसब के साथ भेज दिया, वे भी अपमानित होकर उर्वशी को अपनी साथ ले गये। नर शेष के अवतार और नारायाण विष्णु के अवतार हैं, महाभारत में अर्जुन को नर और कृष्ण को नारायण कहा गया।

जय श्री कृष्ण मित्रों ! कल मुलाकात होगी।  भगवान विष्णु जी ४  वें अवतार के साथ। पढ़ना मत भूलिए। 


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