ॐ श्रीपरमात्मने नमः
🔆🔆आरती 🔆🔆
ओ३म जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे,
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे।
ओ३म जय..........
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का,
सुख सुमति घर आवे, कष्ट मिटे तन का।
ओ३म जय..........
मात-पिता तुम मेरे, शरण पड़ूं किस की,
तुम बिन और न दूजा, आस करुँ जिस की।
ओ३म जय..........
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी,
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सब के स्वामी।
ओ३म जय..........
तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्त्ता,
मैं मूरख अज्ञानी, कृपा करो भर्ता।
ओ३म जय..........
तुम हो एक अगोचर, सब के प्राणपति,
किस विधि मिलूँ दयामय ! तुम को मैं कुमति।
ओ३म जय..........
दीनबंधु दुःख हर्ता, तुम रक्षक मेरे,
अपने हस्त बढ़ाओ, द्वार पड़ा तेरे।
ओ३म जय..........
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा,
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, श्रीगीता की सेवा।
ओ३म जय..........
तन-मन-धन, सब कुछ है तेरा,
तेरा तुझ को अर्पण, क्या लागे मेरा।
ओ३म जय..........
🔆🔆🔆🔆🔆🔆
गीता के ये मन्त्र है,ज्यो नाविक के तीर।
देखन को छोटे लगे,घाव करें गंभीर।
जय श्री कृष्ण मित्रों ! रहिये। लिखते समय कुछ गलती हो गई हो तो कृष्ण गुरु जी से क्षमा करे। धन्यवाद मित्रों आपने मेरे इस ब्लॉग को देश-विदेशों में पसंद किया। अपने गुरु जी का आभारी रहूँगा, मुझ को ये सम्मान दिया। जय श्रीकृष्ण। आप यूँ भगवतगीता पढ़ते रहिये अपनी ज़िन्दगी में मुस्कराते रहिये।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें