ॐ गं गणपतये नमः
जय श्रीकृष्ण मित्रों ! आज द्वापर और कलियुग के विषय में बताना चाहूँगा।
द्वापरयुग
द्वापर युग भगवान श्रीकृष्ण की स्मृति एवं ज्ञान का युग था| इस युग में ही ‘गीता’ का दुर्लभ उपदेश भगवान श्रीकृष्ण ने दिया था| पूर्वांचल में द्वापर युग की भी स्मृति है| काशीराज परिवार से कौरव-पाण्डव का रिश्ता जग विख्यात है| यह युग 864 000 वर्षों का था, जिसमे एक प्रत्येक व्यक्ति 1000 साल तक जी सकता था, ऐसा माना जाता है जैसे- जैसे धरती पर पाप बढ़ेगा वैसे-वैसे इंसान की जीने की उम्र और उसकी इच्छा की पूर्ती कम होने लगेगी। हनुमान जी हा कहना था कि द्वापरयुग में लोग धर्म के मार्ग से भटकने लगेंगे और धरती पर पाप बढ़ने लगेगा।
जैसे कि आप सभी जानते हा इस युग में विष्णु जी ने खुद श्री कृष्णा का अवतार लेकर कंस को मौत के घाट उतारा था।
कलियुग
ऐसा माना जाता है कि कलयुग में एक आत्मा का जन्म 45 बार होता है और उसकी उम्र 100 साल तक की होगी । इस युग में इंसान पर्यावरण को तहस नहस कर देगा, और इस युग में इंसान की इच्छा पूर्ती कम हो जाएगी और वे पाप का भागीदार बन जाएगा। कलियुग के अंतिम काल में भगवान विष्णु का कल्कि अवतार होगा। यह अवतार विष्णुयशा नामक ब्राह्मण के घर जन्म लेगा। भगवान कल्कि बहुत ऊंचे घोड़े पर चढ़कर अपनी विशाल तलवार से सभी अधर्मियों का नाश करेंगे। भगवान कल्कि केवल तीन दिनों में पृथ्वी से समस्त अधर्मियों का नाश कर देंगे। माना जाता है कि कलियुग में अंतिम समय में बहुत मोटी धारा से लगातार वर्षा होगी, जिससे चारों ओर पानी ही पानी हो जाएगा। समस्त पृथ्वी पर जल हो जाएगा और प्राणियों का अंत हो जाएगा। इसके बाद एक साथ बारह सूर्य उदय होंगे और उनके तेज से पृथ्वी सूख जाएगी।कलियुग में इतनी बुराई होते हुए भी हरि नाम संकीर्तन का महत्व भी उतना ही है इस का वर्णन मैं पहले के ब्लॉग में कर चुका हूँ। चलिए मित्रों कल मुलाकात होगी। आप कमेंट करना ना भूले। आप का दिन मंगलमय हो। जय श्रीकृष्ण मित्रों !


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