मंगलवार, 20 जून 2017

आप जानते है भगवान् विष्णु का तेईसवाँ अवतार : बुद्ध अवतार (भाग - दूसरा)


जय श्रीकृष्ण मित्रों ! आपने अब तक भगवान विष्णु के २४ अवतारों में २२ अवतारों का वर्णन विस्तार से  पढ़ा। कल आप ने बुद्ध अवतार के विषय में पढ़ा आज उन् के कुछ विचार और बुद्ध पूर्णिमा के विषय में आप को बताना चाहूँगा। 


बुद्ध जयंती या बुद्ध पूर्णिमा-

गौतम बुद्ध के उपदेशों में से कुछ ये हैं:

  1. शुभ कर्म करो। अशुभ कर्म में सहयोग मत दो।कोई पाप कर्म न करो।
  2. यदि आदमी शुभ कर्म करे, तो इसे पुनः पुनः करना चाहिए। उसी में चित्त लगाना चाहिए। शुभ कर्मो का संचय सुखकर होता है।
  3. भलाई के बारे में यह मत सोचो कि मैं इसे प्राप्त नहीं कर सकूंगा। बूंद बूंद पानी करके घड़ा भर जाता है।इसी प्रकार थोडा-थोडा करके बुद्धिमान आदमी बहुत शुभ कर्म कर सकता है।
  4. जिस काम को करके आदमी को पछताना न पड़े और जिसके फल को वह आनंदित मन से भोग सके ,उस काम को करना ही अच्छा है।
  5. अच्छे आदमी को भी बुरे दिन देखने पड़ जाते है ,जब तक उसे अपने शुभ कर्मों का फल मिलना आरम्भ नहीं होता ; लेकिन जब उसे अपने शुभ कर्मों का फल मिलना आरम्भ होता है ,तब अच्छा आदमी अच्छे दिन देखता है।
  6. सदाचार की सुगंध चन्दन, तगर तथा मल्लिका, सबकी सुगंध से बढ़कर है। धूप और चन्दन की सुगंध कुछ ही दूर तक जाती है ,किन्तु शील( सदाचार)की सुगंध बहुत दूर तक जाती है।
  7. भूतकाल में मत उलझो, भविष्य के सपने मत देखो वर्तमान पर ध्यान दो, यही खुशी का रास्ता है।
  8. आपको क्रोध की सजा नहीं मिलती है बल्कि आपको क्रोध से सजा मिलती है।
  9. संदेह और शक की आदत से भयानक ओर कुछ नहीं होता। संदेह और शक लोगो को आपस में दूर करता है और मित्रता तुड़वाता है।
  10. दुनिया में तीन चीजों को कभी नहीं छिपा सकते – सूर्य चन्द्र और सत्य।
  11. मंजिल या लक्ष्य को पाने से अच्छा है यात्रा अच्छी हो। हजारों शब्दों से अच्छा वह एक शब्द है जो शांति लाता हो।
  12. बुराई से बुराई को कभी ख़त्म नहीं किया जा सकता। बुराई हमेशा प्रेम को समाप्त कराती है।
  13. सत्य पर चलने वाला व्यक्ति सिर्फ दो ही गलतियां कर सकता है, या तो पूरा रास्ता तय नहीं करता या फिर शुरुवात ही नहीं करता।
  14. क्रोधित होने का मतलब है जलता हुआ कोयला किसी दूसरे पर फेंकना। जो सबसे पहले आप को जी जलाता है।
  15. एक जलते हुए दीपक से हजारों दीपकों को जला सकते हो फिर भी दीपक की रोशनी काम नहीं होती। उसी तरह खुशियां बांटने से बढती है कम नहीं होती।
  16. लोभ और तृष्णा के वशीभूत न हो, यही बौद्ध जीवन मार्ग है।
  17. किसी को क्लेश मत दो,किसी  से द्वेष मत रखो।
  18. क्रोध न करो,शत्रुता को भूल जाओ। अपने शत्रुओं को मैत्री से जीत लो ।
  19. घृणा, घृणा करने से कम नहीं होती, बल्कि प्रेम से घटती है, यही शाश्वत नियम है
  20. वह व्यक्ति जो 50 लोगों को प्यार करता है, 50 दुखों से घिरा होता है, जो किसी से भी प्यार नहीं करता है उसे कोई संकट नहीं है
  21. स्वास्थ्य सबसे महान उपहार है, संतोष सबसे बड़ा धन तथा विश्वसनीयता सबसे अच्छा संबंध है
  22. क्रोधित रहना, किसी और पर फेंकने के इरादे से एक गर्म कोयला अपने हाथ में रखने की तरह है, जो तुम्ही को जलती है   
  23. आप चाहे कितने भी पवित्र शब्दों को पढ़ या बोल लें, लेकिन जब तक उनपर अमल नहीं करते उसका कोई फायदा नहीं है
  24. मनुष्य का दिमाग ही सब कुछ है, जो वह सोचता है वही वह बनता है
  25. जीभ एक तेज चाकू की तरह बिना खून निकाले ही मार देता है
  26. सत्य के रस्ते पर कोई दो ही गलतियाँ कर सकता है, या तो वह पूरा सफ़र तय नहीं करता या सफ़र की शुरुआत ही नहीं करता
  27. हजारों दियो को एक ही दिए से, बिना उसके प्रकाश को कम किये जलाया जा सकता है | ख़ुशी बांटने से ख़ुशी कभी कम नहीं होती
  28. तीन चीजों को लम्बी अवधि तक छुपाया नहीं जा सकता, सूर्य, चन्द्रमा और सत्य
  29. शरीर को स्वस्थ रखना हमारा कर्त्तव्य है, नहीं तो हम अपने दिमाग को मजबूत अवं स्वच्छ नहीं रख पाएंगे
  30. हम आपने विचारों से ही अच्छी तरह ढलते हैं; हम वही बनते हैं जो हम सोचते हैं| जब मन पवित्र होता है तो ख़ुशी परछाई की तरह हमेशा हमारे साथ चलती है
  31. अपने उद्धार के लिए स्वयं कार्य करें. दूसरों पर निर्भर नहीं रहें
  32.  सभी गलत कार्य मन से ही उपजाते हैं, अगर मन परिवर्तित हो जाय तो क्या गलत कार्य रह सकता है
  33. एक निष्ठाहीन और बुरे दोस्त से जानवरों की अपेक्षा ज्यादा भयभीत होना चाहिए ; क्यूंकि एक जंगली जानवर सिर्फ आपके शरीर को घाव दे सकता है, लेकिन एक बुरा दोस्त आपके दिमाग में घाव कर  जाएगा.
  34. एक हजार खोखले शब्दों से एक शब्द बेहतर है जो शांति लाता है
  35. अराजकता सभी जटिल बातों में निहित है| परिश्रम के साथ प्रयास करते रहो
  36. अतीत पर ध्यान केन्द्रित मत करो, भविष्य का सपना भी मत देखो, वर्तमान क्षण पर ध्यान केंद्रित करो
  37. आप को जो भी मिला है उसका अधिक मूल्यांकन न करें और न ही दूसरों से ईर्ष्या करें. वे लोग जो दूसरों से ईर्ष्या करते हैं, उन्हें मन को शांति कभी प्राप्त नहीं होती
  38.  चतुराई से जीने वाले लोगों को मौत से भी डरने की जरुरत नहीं है

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