ॐ गं गणपतये नमः
युग : सतयुग और त्रेतायुग एवं भगवान विष्णु के अवतार
जय श्रीकृष्ण मित्रों ! सतयुग, द्वापरयुग, कलयुग हर युग में कोई न कोई भगवान जन्म जरूर लेते है। आज आप को युगों से अवगत कराते है। युग चार प्रकार के है :
पहला युग सतयुग
सतयुग में भगवान विष्णु के पहले चार अवतार क्रमशः मत्स्य, कच्छप, वाराह और नृसिंह थे। जैसे हर शरीर का अंत होता है ठीक वैसे ही एक समय का अंत भी आता ही है। ऐसा माना जाता है कि सतयुग सबसे लम्बा 1,728,000 साल का होता है, जिसमे एक सामान्य व्यक्ति 1 लाख साल तक जी सकता है जिनका कद 32 फुट लम्बा हुआ करता था।इस युग में इंसान अपनी इच्छा अनुसार मर सकता था।
सब लोग सिर्फ अच्छे कामो में रत रहते थे।
नृत्य की उस समय कोई जगह नहीं थी क्योंकि सब लोग प्रसन्न रहते थे. न कोई बीमार पड़ता था और ना ही कोई गरीब, अमीर था सब सामान थे और सिर्फ भगवान की भक्ति में लगे रहते थे.
इस युग में भगवान ने चार अवतार लिए थे, जिनके नाम थे वराह, नरसिम्हा कुर्मा और मत्स्य, सतयुग में सिर्फ एक ही धर्म था जो मनु शास्त्र के रूप में सब लोग निर्वहन करते थे. सबके के पास पहले से वृहद ज्ञान और शक्तिया होती थी।
नृत्य की उस समय कोई जगह नहीं थी क्योंकि सब लोग प्रसन्न रहते थे. न कोई बीमार पड़ता था और ना ही कोई गरीब, अमीर था सब सामान थे और सिर्फ भगवान की भक्ति में लगे रहते थे.
इस युग में भगवान ने चार अवतार लिए थे, जिनके नाम थे वराह, नरसिम्हा कुर्मा और मत्स्य, सतयुग में सिर्फ एक ही धर्म था जो मनु शास्त्र के रूप में सब लोग निर्वहन करते थे. सबके के पास पहले से वृहद ज्ञान और शक्तिया होती थी।
दूसरा युग त्रेतायुग
त्रेतायुग दूसरा युग था जिसमें अधर्म का नाश करने के लिए भगवान विष्णु तीन अवतार लिए थे, जो क्रमशः वामन अवतार, परशुराम अवतार और श्रीराम अवतार के नाम से हमारे हिंदू धर्म ग्रंथों में उल्लेखित हैं।
भगवान वामन श्री हरि के पहले ऐसे अवतार थे जो मानव रूप और पांचवें अवतार के रूप में अवतार लिया गया था। उनके पिता वामन ऋषि और माता अदिति थीं। वह बौने ब्राह्मण के रूप में जन्मे थे। वामन भगवान को दक्षिण भारत में उपेन्द्र के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि वह इंद्र के छोटे भाई थे।
भागवत पुराण के अनुसार भगवान विष्णु ने इंद्र का देवलोक में पुनः अधिकार स्थापित करने के लिए यह अवतार लिया। दरअसल देवलोक पर असुर राजा बली ने विजयश्री हासिल कर इसे अपने अधिकार में ले लिया था। राजा बली विरोचन के पुत्र और प्रह्लाद के पौत्र थे।
उन्होने अपने तप और पराक्रम के बल पर देवलोक पर विजयश्री हासिल की थी। राजा बलि महादानी राजा थे, उनके दर से कोई खाली हाथ नहीं लौटता था। यह बात जब वामन भगवान को पता चली तो वह एक बौने ब्राह्मण के वेष में बली के पास गये और उनसे अपने रहने के लिए तीन पग के बराबर भूमि देने का आग्रह किया। उनके हाथ में एक लकड़ी का छाता था। गुरु शुक्राचार्य के चेताने के बावजूद बली ने वामन को वचन दे डाला। इस तरह भगवान ने दो पग में धरती, आकाश नाम लिया, चौथा पग उन्होंने राजा बलि के सिर पर रखा था। जिसके बाद से राजा बलि को मोक्ष प्राप्त हुआ।
परशुराम अवतार: भगवान विष्ण के छठवें अवतार के रूप में राजा प्रसेनजित की पुत्री रेणुका और भृगुवंशीय जमदग्नि के पुत्र के रूप में जन्में थे। इस अवतार में वह भगवान शिव के परम भक्त थे। इन्हें शिव से विशेष परशु(फरसा) प्राप्त हुआ था। इनका नाम तो राम था, किन्तु शंकर द्वारा प्रदत्त अमोघ परशु को सदैव धारण किये रहने के कारण ये परशुराम कहलाते थे।
त्रेतायुग में भगवान राम ने रावण का वध करने लिए जन्म लिया था, क्योंकि जब-जब इस धरती पर पाप बढ़ा है तब -तब भगवान ने इस धरती को अपना विराट रूप दिखाया है। हिन्दू धर्म में श्रीराम, श्रीविष्णु के 10 अवतारों में, सातवें अवतार हैं। श्रीराम द्वारा सरयु में समाधि लेने से पहले माता सीता धरती माता में समा गईं थी और इसके बाद ही उन्होंने पवित्र नदी सरयु में समाधि ली। चारों युग में हनुमान जी एक मात्र ऐसे भगवान हैं जो अमर है द्वापर युग में भी हनुमान जी ने भीम को चारों युग के बारे बताया था, किस युग में क्या होता ये भी बताया था। आप पता है मित्रों ! त्रेतायुग 4 ,32 ,000 वर्षों का होता है, जिसमे एक सामान्य इंसान 10 ,000 साल तक जी सकता था।