मंगलवार, 14 मार्च 2017

प्रथम अध्याय : "अर्जुनविषादयोग" (श्लोक संख्या - 1-10)



ॐ श्रीपरमात्मने नमः। 
 "अर्जुनविषादयोग"
प्रथम अध्याय 

 जय श्री कृष्ण ! मित्रो ! कल आप ने इन सुंदर श्लोको को पढ़ा, आज आगे चलते है :

धृतराष्ट्र उवाच -
कुरुक्षेत्र की धर्मभूमि पे जब, 
मिले पडुवो से मेरे लाल सब।  
लड़ाई का दिल में जमाये ख्याल,
 तो संजय बता उन का सब हालचाल?। १।
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संजय उवाच - 
महाराज ! आई नज़र जिस घडी,
 सफ़ - ए आरासपह पाण्डवो कि खड़ी।  
गये राजा दुर्योधन उठ कर शिताब, 
किया जा के अपने गुरु से खिताब। २। 
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गुरू जी ! जरा देखिये औज - मौज, 
सफ़ -ए  आरा है पाण्डु के बेटो की फ़ौज।  
द्रुपद का पिसर उन का सरदार है,
जो चेला तुम्हारा ही तररार  है। ३। 
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लड़ाई को निकले हैं एहले -ए खदंग,
जो सब अर्जुन और भीम हैं वक्त - ए जंग। 
विराट् और युयुधान मर्दान-ए कार, 
द्रुपद-सा बहादुर महारथ सवार।४।   
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कही धृष्टकेतु कही चेकिताँ, 
कहीं राजा काशी का शेर - ए ज़माँ।
इधर कुंतीभोज और पुरुजित उधर,
कहीं शैब्य सूरत - ए  गाद - ए नर।  ५। 
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युधामन्यु जैसा कहीं शूरवीर, 
कहीं उत्तमोजा बली बेनज़ीर।  
 कहीं हैए बहादुर सुभद्रा का शेर,
पिसर द्रुपदी के महारथ दिलेर। ६। 
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मुकद्दस गुरु साहिब - ए एहतराम, 
जहाँ के दो जन्मों में आली मुकाम। 
सुनो अब हमारे हैं सरदार कौन, 
हमारी सिपह के सालार कौन। ७। 
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गुरु जी इधर सब से अव्वल  जनाब, 
तो फिर भीष्म और कर्ण से लाजवाब।
कृपा  फ़तहमंद अशवत्थामा नर, 
विकर्ण और बली सोमदत्त का पिसर। ८। 
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दिलावर इसी शान के बेशुमार, 
जो मेरे लिए जा भी कर दे निसार। 
सरापा - मुसल्ला उठाये खदंग, 
इयाँ जिन पे सब जंग के रंग - ढंग।९। 

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हमारी इधर  फ़ौज   है  बेशुमार, 
कमाँदार भीष्म-सा आली वकार। 
मुकाबिल में महदूद फ़ौज - ए ग़नीम, 
है सेनापति जिन के लश्कर का भीम। १०। 
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 जय श्री कृष्ण !
कल आप सब को इन श्लोको की हिंदी में भी व्याख्या भी देखने को मिलगी। ये ब्लॉग कैसा लगा आप को कमेंट करना न भूले।  कल मुलाकात होगी। 

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