"अर्जुनविषादयोग"
प्रथम अध्याय
जय श्री कृष्ण ! मित्रो ! कल आप ने इन सुंदर श्लोको को पढ़ा, आज आगे चलते है :
धृतराष्ट्र उवाच -
धृतराष्ट्र उवाच -
कुरुक्षेत्र की धर्मभूमि पे जब,
मिले पडुवो से मेरे लाल सब।
मिले पडुवो से मेरे लाल सब।
लड़ाई का दिल में जमाये ख्याल,
तो संजय बता उन का सब हालचाल?। १।
तो संजय बता उन का सब हालचाल?। १।
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संजय उवाच -
महाराज ! आई नज़र जिस घडी,
सफ़ - ए आरासपह पाण्डवो कि खड़ी।
सफ़ - ए आरासपह पाण्डवो कि खड़ी।
गये राजा दुर्योधन उठ कर शिताब,
किया जा के अपने गुरु से खिताब। २।
किया जा के अपने गुरु से खिताब। २।
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गुरू जी ! जरा देखिये औज - मौज,
सफ़ -ए आरा है पाण्डु के बेटो की फ़ौज।
सफ़ -ए आरा है पाण्डु के बेटो की फ़ौज।
द्रुपद का पिसर उन का सरदार है,
जो चेला तुम्हारा ही तररार है। ३।
जो चेला तुम्हारा ही तररार है। ३।
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लड़ाई को निकले हैं एहले -ए खदंग,
जो सब अर्जुन और भीम हैं वक्त - ए जंग।
जो सब अर्जुन और भीम हैं वक्त - ए जंग।
विराट् और युयुधान मर्दान-ए कार,
द्रुपद-सा बहादुर महारथ सवार।४।
द्रुपद-सा बहादुर महारथ सवार।४।
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कही धृष्टकेतु कही चेकिताँ,
कहीं राजा काशी का शेर - ए ज़माँ।
इधर कुंतीभोज और पुरुजित उधर,
कहीं शैब्य सूरत - ए गाद - ए नर। ५।
कहीं राजा काशी का शेर - ए ज़माँ।
इधर कुंतीभोज और पुरुजित उधर,
कहीं शैब्य सूरत - ए गाद - ए नर। ५।
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युधामन्यु जैसा कहीं शूरवीर,
कहीं उत्तमोजा बली बेनज़ीर।
कहीं हैए बहादुर सुभद्रा का शेर,
पिसर द्रुपदी के महारथ दिलेर। ६।
मुकद्दस गुरु साहिब - ए एहतराम,
जहाँ के दो जन्मों में आली मुकाम।
सुनो अब हमारे हैं सरदार कौन,
हमारी सिपह के सालार कौन। ७।
जय श्री कृष्ण !
कल आप सब को इन श्लोको की हिंदी में भी व्याख्या भी देखने को मिलगी। ये ब्लॉग कैसा लगा आप को कमेंट करना न भूले। कल मुलाकात होगी।
कहीं हैए बहादुर सुभद्रा का शेर,
पिसर द्रुपदी के महारथ दिलेर। ६।
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जहाँ के दो जन्मों में आली मुकाम।
सुनो अब हमारे हैं सरदार कौन,
हमारी सिपह के सालार कौन। ७।
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गुरु जी इधर सब से अव्वल जनाब,
तो फिर भीष्म और कर्ण से लाजवाब।
तो फिर भीष्म और कर्ण से लाजवाब।
कृपा फ़तहमंद अशवत्थामा नर,
विकर्ण और बली सोमदत्त का पिसर। ८।
विकर्ण और बली सोमदत्त का पिसर। ८।
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दिलावर इसी शान के बेशुमार,
जो मेरे लिए जा भी कर दे निसार।
जो मेरे लिए जा भी कर दे निसार।
सरापा - मुसल्ला उठाये खदंग,
इयाँ जिन पे सब जंग के रंग - ढंग।९।
इयाँ जिन पे सब जंग के रंग - ढंग।९।
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हमारी इधर फ़ौज है बेशुमार,
कमाँदार भीष्म-सा आली वकार।
मुकाबिल में महदूद फ़ौज - ए ग़नीम,
है सेनापति जिन के लश्कर का भीम। १०।
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जय श्री कृष्ण !
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